नेपाल में चल रही राजनीतिक उथल पुथल आज की नहीं है। नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता दशकों से चली आ रही है। नेपाल ने लोकतंत्र और राजशाही के बीच कई बार उतार चढ़ाव देखे है। 1950 से 2025 तक नेपाल ने कई बार सत्ता परिवर्तन होते हुए देखा है।
आज हम नेपाल में सत्तापलट के अहम घटनाओं के वर्णन करेंगे।
1950 जनविद्रोह

नेपाल में 1950 में राणा वंश का शासन था और देश के सारे अहम फैसले, केवल राणा वंश ही लेता था। इन फैसलों से नेपाल की जनता बिल्कुल नाखुश थी। इसी बीच नेपाल के कई बड़े नेताओं ने भारत में शरण लिया। यह निर्णय लिया गया कि राणा वंश से मुक्ति पाने के लिए क्रांति लाना जरूरी है। क्रांति की शरुआत नेपाली नेताओं ने नेपालो कांग्रेस पार्टी ‘ बनकर किया। राजा त्रिभुवन ने भारत में शरण ली और भारत की सरकार से समर्थन मांगा। अंततः 1951 में नेपाल में पहली बार एक लोकतांत्रिक सरकार बनी और राणा वंश का अंत हुआ।
1960 पूर्ण राजतंत्र की वापसी

1959 में नेपाल में पहली बार आम चुनाव हुआ, जिसमें नेपाली कांग्रेस की सरकार बनी। इसके साथ ही बी. पी. कोइराला नेपाल के प्रधानमंत्री बने। यह सरकार ज्यादा समय तक नहीं रही और केवल एक साल में सरकार गिर गई। 1960 में राजा महेंद्र ने सभी राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगा दिया। उन्होंने संसद भंग कर दी और पंचायत शासन प्रणाली लागू किया। इस प्रणाली के तहत नेपाल में एक बार फिर राजशाही आ गई और लोकतंत्र खत्म हो गया।
1990 जन आंदोलन

राजशाही का दौर खत्म हो रहा था, क्योंकि जनता में राजतंत्र के खिलाफ आक्रोश बढ़ गया था। 1990 में जनता ने नेपाल के राजा बीरेंद्र के खिलाफ जन आंदोलन कर दिया। राजा ने जनता की आवाज़ को दबाने की पूरी कोशिश की, परंतु जनता की ताकत के आगे उन्हें झुकना पड़ा। इसी के परिणामस्वरूप, 1990 में नेपाल को संवैधानिक राजतंत्र और बहुदलीय लोकतंत्र में बदल दिया गया।
1996- 2006 माओवादी गृहयुद्ध

यह समय नेपाल के विस्थापन का समय था। नेपाल में जन आंदोलन के बाद जनता ने राजशाही के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया। इस गृहयुद्ध का संचालन नेपाल के माओवादी (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल – माओवादी) ने की। इस संघर्ष में उनकी मांग थी नेपाल में राजतंत्र का अंत और जनवादी गणराज्य की सुबह। माओवादियों का संघर्ष 10 साल तक चला जिसने लगभग 17000 लोग मारे गए और लाखों लोग बेघर हो गए। 2001 में नेपाल के राजा बीरेंद्र और उनके पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया। इसी बीच माओवादियों ने नेपाल के ग्रामीण क्षेत्रों में अपना वर्चस्व बना लिया था। इसके बाद राजा ज्ञानेंद्र सत्ता में आए परंतु जनता का भरोसा जितने में नाकामयाब रहे।
2006 राजशाही सत्ता का अंत

माओवादियों की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई थी। अब भी नेपाल में एक राजा का ही शासन था, जो थे राजा ज्ञानेंद्र। 2006 में नेपाल में फिर एक बड़ा जन आंदोलन हुआ और इस बार राजा ज्ञानेंद्र को जनता के आगे झुकना पड़ा। राजा को सत्ता के साथ साथ कार्यकारी शक्तियां भी खोनी पड़ी। इसी के साथ नेपाल में गणराज्य की नींव रखी गई।
2008 संविधान निर्माण

राजशाही सत्ता का अंत हो चुका था और इसी के साथ अप्रैल 2008 में नेपाल में संविधान सभा के चुनाव हुए। जैसा कि सब लोगों ने अनुमान लगाया था माओवादियों को बड़ी जीत मिली। इस जीत के साथ नेपाल में संविधान निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। 2008 में नेपाल आधिकारिक तौर पर एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य बन चुका था।
2015 संविधान लागू

नेपाल में एक नई सुबह आई और इसी के साथ लागू हुआ एक नया संविधान। इस संविधान के तहत नेपाल को 7 प्रांतों में विभाजित किया गया। इस नए संविधान ने नेपाल को हिन्दू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष बनाया और साथ ही लोकतांत्रिक और गणराज्य भी। नए संविधान के लागू होने से कई जातीय समूह के लोग नाखुश थे, जिससे नेपाल में अशांति फैल गई। इसी बीच नेपाल में प्राकृतिक आपदा, भूकंप आया, जिसमें हजारों लोगों की मृत्यु हो गई।
2025 सत्तापलट

नेपाल में फिर एक बार सत्ता परिवर्तन हुआ और इस बार कारण बना सोशल मीडिया का बंद होना और भ्रष्टाचार। युवाओं ने इसका बहुत विद्रोह किया जिसने कई युवाओं की मौत हो गई। विद्रोह इस तरह फैला कि नेपाल के प्रधानमंत्री, के.पी.शर्मा ओली को पद से इस्तीफा देना पड़ा। उसके बाद और भी नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा दिया और वहां के प्रधानमंत्री नेपाल छोड़ कर भाग भी गए। इस बीच हिंसा में संसद भवन और कई सरकारी संपत्तियों का नुकसान भी हुआ। फिलहाल नेपाल में सेना का शासन है किंतु यह नहीं पता कि कितने समय तक और इस स्थिति में नेपाल का भविष्य अंधकार में लग रहा है।
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