• Political & Social
  • International News
  • Entertainment
  • About Us
  • Contact Us
Spice of Life Media
  • Political & Social
  • International News
  • Entertainment
  • About Us
  • Contact Us
No Result
View All Result
  • Political & Social
  • International News
  • Entertainment
  • About Us
  • Contact Us
No Result
View All Result
Spice of Life Media
No Result
View All Result

लोकतंत्र पर सवाल उठाता: बंगाल हिंसा

Hemlata by Hemlata
January 23, 2023
in Political & Social
0
bengal_riots_2021

हाल ही में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ना सिर्फ कोरोना महामारी से बचने के नियमों का उल्लंघन किया गया बल्कि संविधान की भी धज्जियाँ उड़ा दी गई लेकिन अगर आपको लगता है ये कोई पहली बार था या ये बीजेपी बनाम टीएमसी की झड़प है, तब शायद आप बंगाल के इतिहास से बखूबी वाकिफ नहीं हो पाए हैं।

बंगाल में चुनावी हिंसा का पारंपरिक इतिहास

अगर हम पश्चिम बंगाल के चुनावी इतिहास को देखे , तब सन् 1977 से 2007 के दौरान कुल 28,000 राजनीतिक हत्याएं हुईं।  अधिकारिक आंकड़ों की माने, तो 2013 में 26 लोगो कि मौत हुई,  2015 में 131 वारदात हुई, जिसमें 184 लोगों की मौत हुई और 2016 में 91 घटनाएं हुईं,  जिसमें 205 लोगो की मौत हुई।

वहीं दूसरी ओर अगर हम गृह मंत्रालय के आंकड़े देखते हैं, तब उनके मुताबिक 2013 से लेकर मई 2014 तक बंगाल में 23 से अधिक राजनीतिक हत्याएं हुई हैं।

पंचायत चुनावों तक में हिंसा और गुंडागर्दी

बंगाल हिंसा सिर्फ लोकसभा या विधानसभा चुनाव तक ही सीमित नहीं है यानी  2018 में पश्चिम बंगाल में हुए पंचायत चुनाव में 18 लोग मारे गए थे। ममता बैनर्जी की टीएमसी सरकार ने हत्या में मारे गए लोगो की ज़िम्मेदारी लेना तो दूर, उल्टा यह दावा किया की उसके 14 कार्यकर्ता मारे गए।

वहीं बदले में प्रतिद्वंदी सरकार भाजपा ने यह दावा किया की हिंसा में भाजपा के 52 कार्यकर्ता की हत्या टीएमसी के गुंडों ने की है।

यह आंकड़े या तो आधिकारिक है या राजनीतिक पार्टियों द्वारा दावा किए गए हैं, परंतु असल में कितनों ने अपनी जान गवाई है, इसका कोई हिसाब नही है।

अनुब्रत मंडल;टीएमसी सरकार हत्याएं करवाती रही है

वहीं 2019 लोकसभा चुनाव भी हिंसा से दूर नहीं रहा। मतदान के हर चरण में राजनीतिक हिंसा देखने को मिली थी। रायगंज के इस्लामपुर में सीपीआईएम  के सांसद मोहम्मद सलीम की कार पर कथित तौर पर टीएमसी के समर्थकों ने पत्थरों और डंडों से हमला किया था।

टीएमसी कार्यकर्ताओं ने सिर्फ नेताओं पर ही हमला नहीं किया था बल्कि आसनसोल में सुरक्षाबलों के साथ भी झड़प की खबरे भी सामने आईं।  पुलिस मौन हो जाती है, जब टीएमसी के समर्थक/कार्यकर्ता, विपक्षी दल, आम जनता यहां तक कि सुरक्षा बलों पर भी हमला करती है।

2021 के विधानसभा चुनाव में बीरभूमी ज़िला से टीएमसी अध्यक्ष रहे, अनुब्रत मंडल ने एक विवादित बयान दिया “साल 2011, 2014, 2016 और 2019 के चुनावो में हत्याएं हुई, इस बार भी हो रही है।”

इस बयान से यह साफ पता चलता है कि चुनाव में टीएमसी सरकार हत्याएं कराती आई है और आगे भी ये हत्याएं होती रहेंगी।  

अनुच्छेद 19 (1) (क)  का हिन्दू-मुस्लिमों को भड़काने में भरपूर उपयोग

भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के अंतर्गत वाक्य और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रावधान है। हाल ही में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में नेताओं ने संविधान के इस अनुच्छेद का भरपूर दुरुपयोग किया है। नेताओं ने ऐसे विवादित बयान दिए हैं, जो धर्म के नाम पर हिंसा फैलाने और धमका कर वोट लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा गए हैं।

विधानसभा चुनाव में एक ओर टीएमसी  सांसद नुसरत जहां ने मुसलमानो में धर्म के नाम पर हिंसा फैलाते हुए कहा, “आप लोग अपनी आंखें खोलकर रखें, भाजपा जैसा खतरनाक वायरस घूम रहा है। यह पार्टी धर्म के बीच भेदभाव और लोगों  के बीच दंगे कराती है। अगर भाजपा सत्ता में आई तो मुसलमान उल्टी गिनती गिनना शुरू कर दें।”

प्रचार,बयानबाज़ी! सांप्रदायिकत का ज़हर?

दूसरी ओर भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने हिंदुओं के नाम पर हिंसा फैलाते हुए कहा कि, “हिंदू युवाओं को अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए हथियार उठाना होगा। अगर कोई कायर ऐसा नहीं करता तो गर्दन दबोच लो। अगर ज़रूरत पड़े तो हथियार भी उठाना होगा, कानून की नजर में यह अपराध नहीं है। हमारी आंखों के सामने माँ-बहन को परेशान किया जा रहा है और हम पुलिस से गुहार लगा रहे हैं, ऐसे मामलों में पहले बदला लें फिर पुलिस स्टेशन जाएं ।”

टीएमसी  नेता मदन मित्रा ने तो भाजपा को ऐसे धमकी दी मानो बंगाल  टीएमसी की जागीर है। मदन मित्रा ने अपने विवादित बयान में कहा, “बीजेपी सुन ले, दूध मांगोगे तो खीर देगें, अगर बंगाल मांगोगे तो चीर देगें।”

ममता बनर्जी की बयानबाजी या जनता को धमकी

ममता बैनर्जी ने पुलवामा आतंकी को लेकर बीजेपी और सेना पर निशाना साधते हुए सोनारपुर चुनावी रैली में कहा, “पुलवामा को लेकर देश प्रेम दिखाते हैं, चुनावो को देख कर पाकिस्तान के साथ युद्ध करते हैं, पुललवामा को लेकर खुद ही अपने सेना वाहिनी को मार देते हैं।  ये है इनका हाल और हमे देश प्रेम दिखाते हैं।”

हद तो तब हो गई जब ममता बैनर्जी ने चुनाव रैली में बंगाल की जनता जिसने, उन्हें इतने सालों से कुर्सी पर बैठाया है उस कुर्सी पर बैठकर ही उन्होनें धमकी दे डाली।

चुनावी रैली में ममता ने यह स्पष्ट कहा, “जब चुनाव खत्म हो जाएगा और ये (केंद्र सरकार) चले जाएंगे, तब क्या होगा? तब तो हम ही लोग यहां बचेंगे ना?

तब तुम हाथ जोड़ कर कहोगे सेंट्रल फोर्स को कुछ और दिन रख लीजिए!”

टीएमसी की गुंडागर्दी; चुनाव की हिंसा

चुनावी रैली में  ममता द्वारा दी गई धमकी को पूरा करने में क्षण भर भी नहीं लगा। चुनाव में जीत के ठीक बाद हुई हिंसा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।

बंगाल में टीएमसी के सामने खड़े होने का अभिप्राय है जान जोखिम में डालना। बीजेपी के आसनसोल, हुगली जैसे कई ऑफिस को या तो जला दिया गया या तोड़ दिया गया। स्वपन दासगुप्ता जो तारकेश्वर से भाजपा के उम्मीदवार रह चुके हैं,

उन्होंने अपने एक टवीट में बताया की “बीरभूमी से करीब 1000 हिंदू परिवारों को टीएमसी के गुंडों ने प्रताड़ित किया है, जिसकी वजह से वह अपना ही क्षेत्र छोड़ कर जाना चाहते हैं।

जेपी नड्डा का दावा 1 लाख बंगाली घर छोड़ने को मजबूर

खबरें यह भी है कि बहुत से बंगाली लोग बंगाल छोड़ कर असम जाने को मजबूर है। जे.पी.नड्डा ने दावा किया था की चुनाव के नतीजे आने के पश्चात बंगाल में हुई हिंसा में करीब 14 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है, जबकि कम से कम एक लाख लोग अपना घर छोड़ने पर मजबूर है।

यही नहीं भाजपा ने यह भी दावा किया है कि कार्यकर्ताओं के मरने की संख्या बढ़ती जा रही है, उत्तर 24 परगना के मिनाखान एवं बामनपुर क्षेत्र में लगभग 500 बीजेपी कार्यकर्ताओं के घर पर हमला किया और नुकसान पहुंचाया। 

ऐसी बहुत सी खबरे है, जिनमें महिलाओं के साथ बदसलूकी या रेप करने, कई जगह पर मंदिरों को तोड़ने, लोगो को धमकाने और घरों को तोड़ने-फोड़ने की खबरें भी सामने आई है लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है मगर कहते है न की धुआं वहीं उठता है, जहां आग लगती है। 

खबरों का धुआँ कितना सच?

हाल ही में ममता ने टाइम्स नॉव के दौरान यह कहा है कि, “जहां पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है, वहां उन्होंने घरों में आग लगाई है।” हालांकि इस बात को स्वीकारना अत्यंत मुश्किल है, क्योंकि अगर भाजपा को हमले कराने होते तो उस क्षेत्र में करते जहां से वह हारी है! ना की उन क्षेत्रो में जहां लोगों ने भरपूर सहयोग किया।

बंगाल में हो रही हिंसा अब एक प्रचंड रूप ले चुकी है, ऐसे में ज़रूरत है कि केंद्र सरकार बंगाल की कानून व्यवस्था को दुरुस्त करे। हालांकि केंद्र सरकार ने चार सदस्यीय टीम को बंगाल दौरे पर भेजा है, ताकि वास्तविक जानकारी मिल सके।

केंद्र का हस्तक्षेप अब ज़रूरी

केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पत्र लिखा है, जिसमे बंगाल में हुई हिंसा पर जवाब मांगा है और सख्त कार्यवाही की चेतावनी दी गई है। वहीं राज्य सरकार ने इस पत्र का कोई जवाब नही दिया है, उल्टा ये कहा गया है ही मृतक के परिवार को 2- 2 लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा लेकिन बंगाल की जनता को मुआवजा नहीं सुरक्षा की ज़रूरत है।

बंगाल हिंसा सिर्फ केंद्र या राज्य तक सीमित नहीं रह गई है। भाजपा  नेता गौरव भाटिया और इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट ने पश्चिम बंगाल हिंसा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

कोर्ट से यह अपील की है कि राज्य में कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए केंद्रीय बल तैनात करे। बंगाल हिंसा को रोकने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है की बंगाल में केंद्र बल तैनात करे या राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाए।

राजनीति में जीत हार लगी रहती है, प्रतिद्वंदी आपके समक्ष आएंगे। परंतु जवाब में हिंसा करने का तात्पर्य है लोकतंत्र पर सवाल उठाना। 

Tags: #bengal_cm#bengal_election#bengal_riots#mamta_banerjee#tmc_leader
Previous Post

जलती दिल्ली पर रोटियां सेंकते राजनेता

Next Post

Why Sri Lanka is facing huge economic crisis?

Next Post
sri_lanka_economic_crisis

Why Sri Lanka is facing huge economic crisis?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • Entertainment
  • International News
  • Political & Social
  • Even Trump is pursuing his Film Industry, When Will We?
  • 50 Days of Trump’s Governance
  • Did Tamannaah Bhatia and Vijay Varma split due to disagreements over marriage?
  • Chandrayaan-3: India’s Quest to Reach New Lunar Horizons
  • The Kerala Story Review: आत्मा को झकझोर देने वाली आत्मकथा

Recent Posts

  • Even Trump is pursuing his Film Industry, When Will We?
  • 50 Days of Trump’s Governance
  • Did Tamannaah Bhatia and Vijay Varma split due to disagreements over marriage?
  • Chandrayaan-3: India’s Quest to Reach New Lunar Horizons
  • The Kerala Story Review: आत्मा को झकझोर देने वाली आत्मकथा

Categories

  • Entertainment
  • International News
  • Political & Social
  • Political & Social
  • International News
  • Entertainment
  • About Us
  • Contact Us

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.

No Result
View All Result
  • Political & Social
  • International News
  • Entertainment
  • About Us
  • Contact Us

© 2025 JNews - Premium WordPress news & magazine theme by Jegtheme.