भारत देश, जिसमें माता शब्द जुड़ भारत माता बन पुजनीय हो जाता है,
जहां गाय को माता कहकर पूजा जाता है,
जहां बेटी के जन्म लेने पर उसे लक्ष्मी से संबोधित किया जाता है,
ऐसे मेरे भारत देश में हैवानों ने जन्म लिया।
जिन्हें तीन साल की मासूम बच्ची और पचास साल की माता में भी हवस दिखती है,
जिन्हें एक लड़की को देख भाई बन के उसकी रक्षा करनी चाहिए, वे उसका बलात्कार कर उसे जला देते हैं।
क्या एक लड़की की यही गलती है कि उसने अपने जीवन को एक लक्ष्य दिया,
या यह की वह स्वतंत्र भारत में अपने विचार व्यक्त करना चाहती है?
या फिर यह की वह एक बेटी है बेटा नहीं?
देश के नेताओं का कहना है, लड़के है, उनसे तो गलतियां हो जाती हैं,
वे कहते है लड़की की गलती है जिसने छोटे कपडे पहने, जो रात ग्यारह बजे घूमने गई,
या फिर यह कहेंगे की बचपन में शादी कर उसे खूटे से बांध दो,
ऐसे औझी विचारधारा के लोग बलात्कारियों से कम नहीं।
गर्व है हैदराबाद की पुलिस पर जिसने हत्यारों और बलात्कारियों को मार इंसाफ किया,
दूसरी ओर शर्म आती है ऐसे नेताओं पर जो कानून और व्यवस्था का हवाला देते है,
कानून के आंखों की पट्टी निकाल, कानून और व्वस्था के नाम पर इंसाफ करो, बेटी का सम्मान करो।