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26 जनवरी 2022, भारत 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा है, नई उपलब्धियों को छू रहा है। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड के चंपावत जिले में जातिवाद का भयावह नजारा देखा गया।

चंपावत जिले के सूखीढांग के राजकीय इंटर कॉलेज में अनुसूचित जाति की महिला सुनीता देवी (32) की नियुक्ति 13 दिसंबर 2021 को भोजनमाता के तौर पर हुई। बखेड़ा तब शुरू हुआ जब कक्षा 6 से 8 में पढ़ रहे उच्च जाति के बच्चों ने सुनीता देवी के हाथ से बना खाना खाने से इंकार कर दिया। कारण पूछने पर बताया गया की वे खाना इसलिए नहीं खा रहे है क्योंकि वह एक अनुसूचित जाति की महिला ने बनाया है। 

“आखिर उत्तराखंड में जाति के नाम पर बच्चो को भेदभाव करना कौन सिखा रहा है? माता पिता या शिक्षक?”

नरेंद्र जोशी, पैरेंट टीचर एसोसिएशन (पीटीए) के अध्यक्ष ने यह कहा की भोजनमाता पद की नियुक्ति नियम विरुद्ध हुई है। इस पद पर सुनीता देवी से ज्यादा योग्य लोग थे जिन्हें नियुक्त नहीं  किया गया, जैसे की पुष्पा भट्ट (जो की उच्च जाति की महिला है)। इसके बाद जीआईसी कॉलेज के प्रधानाचार्य ने 21 दिसंबर 2021 को सुनीता देवी को भोजनमाता के पद से निष्कासित कर दिया। सुनीता देवी की जगह उच्च जाति की महिला विमलेश उप्रेती को भोजनमाता के पद पर नियुक्त किया गया। 

“क्या सवाल नियुक्ति प्रक्रिया पर है या फिर जातिवाद पर?”

विमलेश उप्रेती की नियुक्ति के बाद वहां पढ़ रहे दलित बच्चों ने उच्च जाति की भोजनमाता के हाथ का बना खाना खाने से इंकार कर दिया। हालांकि बाद में पुलिस और प्रशासन के समझाने पर बच्चे खाना खाने को राजी हो गए।

सुनीता देवी ने तनकपुर के तहसीलदार और चलथी के पुलिस थाने में उच्च जाति के माता पिता द्वारा किए गए उत्पीड़न और जाति भेदभाव का केस दर्ज कराया। पुलिस ने अनुसूचित जाति जनजाति एक्ट और आई.पी.सी की धारा 506 के तहत केस दर्ज किया।

कुमाऊ, भीम आर्मी के अध्यक्ष गोविंद बौद्ध ने कहा, “उसे इसलिए हटाया गया क्योंकि वह एक दलित है और इसी वजह से वजह से उच्च जाति के लोगो ने उसकी नियुक्ति पर सवाल उठाया है”।

भीम आर्मी के अध्यक्ष, चंद्रशेखर आजाद ने कहा, “एक दलित भोजनमाता को निष्कासित कर, उत्तराखंड की सरकार ने दलितों के मान सम्मान को ठेस पहुंचाया है”। “अगर दलित औरत की दोबारा नियुक्ति नहीं हुई तो भीम सेना मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का घेराव करेगी”।

चंपावत के उप जिला शिक्षा अधिकारी, अंशुल बिष्ट को मामले की जांच की जिम्मेदारी दी गई। इस बीच केजरीवाल की सरकार ने सुनीता देवी को 18 हजार रुपए मासिक में दिल्ली में नौकरी प्रदान की। वही दूसरी ओर सुनीता देवी की नियुक्ति नियमानुसार जीआईसी कॉलेज में हुई। शीतकालीन अवकाश के बाद 16 जनवरी को सुनीता देवी ने वापस भोजनमाता का पद संभाला। बता दें, जी आई सी कॉलेज में 10 साल में कोई दलित भोजनमाता के पद पर नियुक्त नहीं हुई थी। 

एक और हम आधुनिक तकनीक की बात कर रहे है, विश्व में भारत का स्थान उच्च कोटि पर है। कोरोनो जैसे स्तिथि में भारत ने ना सिर्फ दवाइयां बनाए बल्कि विदेशों तक में वितरण किया। दूसरी ओर उत्तराखंड में हम जातिवाद जैसे विचारधारा में उलझे हुए है। दुख की बात है की यही विचारधारा हम अपने आने वाले युग में भी डाल रहे है। बच्चों को भगवान का रूप समझा जाता है परंतु जो उत्तराखंड में हो रहा है वो कुछ और ही कहानी कह रहा है। बच्चों ने भी जातिवाद को अपना लिया है, ये बात उनके भोजनमाता द्वारा भोजन खाने से इंकार करने से ही पता चलता है। बच्चों में ये विचारधारा माता पिता से ही आती है। इसलिए जरूरी है की आप अपनी विचारधारा में परिवर्तन लाए, जिससे आने वाला युग भी एक नए विचारधारा के साथ आगे बढ़े।

21 वीं सदी में भारत आधुनिकता की ओर अग्रसर हो रहा है, विकासशील देश से विकसित देश में परिवर्तित हो रहा है। वहीं कई ऐसे क्षेत्र है जहां आज भी पिछड़ापन है और लोग जातिवाद जैसे ओझी विचारधारा के साथ जी रहे है। समय है सोच में बदलाव लाने का, क्योंकि उच्च विचारधारा ही देश में बदलाव ला सकती है। 

By Hemlata

As a news author, Hemlata understands the responsibility of her role in shaping public discourse and maintaining the public's trust. She is committed to upholding the highest ethical standards in journalism, ensuring accuracy, fairness, and transparency in her reporting.

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