united_against_coronavirus

भारत में कोरोनावायरस नामक महामारी दिन प्रतिदिन अपनी रफ्तार ले रहा है। ऐसे हालात से लड़ने के लिए पुलिस प्रशासन और चिकित्सक कर्मचारियों ने ऐड़ी चोटी की ज़ोर लगा दी है। परन्तु दु:ख की बात तो यह है कि लोग इनका साथ देने के बजाए इन पर हमला कर रहे है।

जब तब्लीग़ी जमात के लोग पाए गए कोरोना संक्रमित 

हाल ही में दिल्ली के निज़ामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज में हो रहे धार्मिक कार्यक्रम में भारत और अन्य देशों से अनेकों लोगो के शामिल होने से परिस्थिति बहुत गंभीर हो गई। 01 अप्रैल 2020 को जब पुलिस मरकज में स्थित कोरोना संक्रमण संदिग्धों को लेकर क्वॉर्रंटाइन सेंटर जा रही थी तो इन लोगों ने पुलिस कर्मचारियों के साथ बुरा बर्ताव किया।

डॉक्टर और पुलिसकर्मियों के साथ व्यवहार अत्यंत भयावह था

सी. आर. पी. ओ. दीपक कुमार के अनुसार अस्पताल जाते वक़्त बसो से निकल कर यह लोग जगह जगह थूक रहे थे। मानो इनका उद्देश्य वायरस को खत्म करना नहीं बल्कि फैलाना है। जब जमातियों को तुगलकाबाद स्थित अस्पताल ले जाया गया तो इन लोगो ने डॉक्टर एवं अस्पताल कर्मचारियों पर थूका और अनावश्यक खाने पीने की मांग भी की। जमातियों का कोहराम यहीं ख़तम नहीं हुआ।

गाजियाबाद स्थित जिला अस्पताल में जमाती नर्सो के सामने कपड़े उतार घूमने लगे और चिकित्सा कर्मचारियों से दुर्व्यवहार कर उनके द्वारा दिए जा रहे दवाई लेने से भी इंकार कर दिया। चिकित्सक कर्मचारियों के साथ जमतियों द्वारा की गई शर्मनाक हरकत उनके मंसूबों को दर्शाती है।

इंदौर की स्वास्थ्य विभाग की टीम पर हमला

एक ओर 01 अप्रैल 2020 को दिल्ली में चिकत्सक और पुलिस कर्मचारी जामातियों का दुर्व्यवहार झेल रही थी। वहीं दूसरी ओर इंदौर के बाखल में कोरोना संक्रमितों की जांच करने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम पर वहां के मुसलमानों ने पथराव कर दिया। इस क्षेत्र के एक परिवार ने पुलिस ऑफिसर पर बदसलूकी का इल्जाम भी लगाया, जबकि जांच उपरांत उस परिवार के तीन सदस्य कोरोना संक्रमित निकले।

यह सिर्फ इंदौर में ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों जैसे सहारनपुर (यू. पी), रायगढ़ (छ. ग), बैंगलोर (कर्नाटक), रांची (झारखंड) एवं जयपुर और टोंक (राजस्थान) जैसे राज्यों में जांच के लिए आई सर्वे टीम और पुलिस कर्मियों पर हमला किया गया। 

पुलिस और चिकित्सक कर्मचारी अपनी जान पर खेल हम जैसे नागरिकों की रक्षा कर रही है। वहीं लोग इनका शुक्रिया अदा करने के बजाए इन पर हमला कर रहे है। यह किस हद तक उचित है? 

मुजफ्फरनगर की घटना 

मुज्जफरनगर, उत्तर प्रदेश का वह भाग जो हमेशा से गुंडा गर्दी के नाम से जाना जाता है। हाल ही में जांच का विरोध कर रहे गांव वालो ने पुलिस की गाड़ी, मोटरसाइकिल समेत मोबाइल को आग के हवाले कर दिया। बात यही तक सीमित नहीं रही वहां आए पुलिसवालों को इन लोगो ने बंधक बना लिया।

मुज्जफरनगर के लोगों की यह हरकत यह साफ दर्शाती है कि इन्हें ना ही कानून और प्रशासन का भय है और ना ही कोरोना वायरस का खौफ है। 

इस तरह की लापरवाही  से कोरोनावायरस को रोकना मुश्किल है

भारत सरकार नियमित रूप से लोगो को सोशल डिस्टेंस के बारे में ज्ञान दे रही है, यहीं नहीं कई राज्यो में धारा 144 भी लगाया गया है। इसके बावजूद 23 मार्च 2020 को तिरुपति में 40,000 की भरी संख्या में लोग मंदिरों और सामाजिक स्थानों में नजर आए।

यहां के कारोबारी सामान्य रूप से अपनी दुकानें चला रहे है, मानो इन्हें यह ज्ञात हो ही नहीं कि सरकार ने लॉकडाउन ऐलान किया है।

स्वामी चक्रपाणि द्वारा कोरोना को लेकर फैलाया गया भ्रम

पूरा विश्व कोरोनावायरस से जूझ रहा है और हर वह मुमकिन कोशिश कर रहा है जिससे वे अपने देश की जनता को बचा सके। वहीं भारत में दिल्ली में स्थित मंदिर मार्ग में 14 मार्च 2020 को अखिल भारत हिन्दू महासभा के स्वामी चक्रपाणि  ने गौ मूत्र पार्टी का आयोजन किया।

यह पार्टी यज्ञ से शुरू हुई और लोगो को यह बताया गया कि गौ मूत्र के सेवन से कोरोनावायरस चला जाएगा और यह वायरस एक अवतार के रूप में मांसाहारी लोगो को दंड देने के लिए आया है।

इस तरह की गलत जानकारी देने पर जब एन. सी. पी. लीडर, वंदना चवन ने पार्लियामेंट में अपनी बात रखी और बी. जे. पी. लीडर से इस बात पर सफाई मांगी तो चेयरमैन एम. वेंकैया नायडू ने अनावश्यक विवाद ना खड़ा करने की हिदायत दे कर यह बात खारिज कर दी। 

एक ओर सरकार गलत खबर फैलने वालो पर फ.आई. आर. दर्ज कर रही है, वहीं दूसरी ओर पार्लियामेंट में इसे अनावश्यक विवाद कह कर ख़ारिज कर दिया जाता है। पार्लियामेंट का इस मामले में चुप्पी साध लेना का क्या तात्पर्य है?

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री का लॉक डाउन के मध्य अयोध्या में पूजा पाठ करना कहां तक उचित है?

कहते हैं कानून सबके लिए सामान्य है, अगर ऐसा है तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 25 मार्च 2020 को भारत सरकार द्वारा लॉकडॉउन की घोषणा के बावजूद वे राम जन्मभूमि कैसे पहुंच गए? कहा जाता है कि उन्होंने 25 मार्च से 2 अप्रैल तक राम भक्तों के लिए एक मेले का आयोजन भी करना चाहा था। हालांकि यह आयोजन हुआ नहीं। परन्तु 01 अप्रैल की सुबह अयोध्या में राम लल्ला को निर्माण हो रहे नए ढांचे में ले जाने के लिए एक आयोजन किया।

इस आयोजन में मुख्यमंत्री, 20 लोग, जिला कलेक्टर सहित पुलिस ऑफिसर भी शामिल थे। जब इस जानकारी को “द वायर” के एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन ने पोर्टल पर प्रकाशित किया उस पर अयोध्या पुलिस ने 01 अप्रैल को आई. पी. सी. की धारा 188 और 502 (2) के तहत मुख्यमंत्री पर सवाल उठाने के जुर्म में एफ.आई.आर. दर्ज कर दिया। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा सरकार कि घोषणा का पालन ना करना और इतने संख्या में लोगों को साथ लेकर चलना, वह भी इस नाज़ुक परिस्थिति में उन पर अनेकों सवाल उठाने पर मजबूर करते हैं। क्या उनके लिए धर्म देश से ऊपर है? भारत सरकार के आदेशों का पालन ना करके वे क्या साबित करना चाहते है? वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक पत्रकार पर केस दर्ज कर प्रेस की स्वतंत्रता को क्षति पहुंचाई है। 

कोरोना वायरस से लड़ने हेतु जरूरी है कि हम नियमों का पालन करें

कोरोना वायरस एक ऐसी बीमारी है जिससे अकेले नहीं लड़ा जा सकता। इस महामारी से जूझने के लिए सेवाएं दे रहे पुलिस प्रशासन, चिकित्सा कर्मचारियों और जरूरत का सामान हम तक पहुंचाने वाले लोगों का साथ देने कि जरुरत है। यह जरूरी है कि कानून और सरकार की बात का मान हर नागरिक रखें।

चाहे वह किसी भी धर्म का हो और हर वह नेता जो समाज के सामने एक बेहतर छवि रखता है। यह समय है एक परिवार कि भांति एक साथ खड़े हो कोरोनावायरस से लड़ने का। 

घर पर रहे, सुरक्षित रहे। 

By Hemlata

As a news author, Hemlata understands the responsibility of her role in shaping public discourse and maintaining the public's trust. She is committed to upholding the highest ethical standards in journalism, ensuring accuracy, fairness, and transparency in her reporting.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *